...

1 views

Love poem .....
महोब्बत पे जितना भी लिखूं
कविता कभी पूर्ण नहीं होती
रंग सारें भर दियें
तस्वीर फिर भी मुकम्मल नहीं होती

अथाह सागर है प्रेम का जज़्बा
लाख डूबों तलहटी नहीं मिलती
एक अश्क ही डुबो देता है कायनात को
प्यार की बूंद में सागर सी गहराई छुपी रहती

इक नज़र ही बहोत है
शूरवीर को घायल करने के लिए
प्रेम का जूनून चाहिए
पानी में आग लगाने के लिए

जरा से प्यार पर , लोग ज़िन्दगी गँवा देतें हैं
लेना देना कुछ भी नहीं, दिल दाँव पर लगा देतें हैं
शाम के अंधेरें क्या उठें
कि पतंगें खुद को , महोब्बत पे लुटा देतें हैं

प्यार की तासीर समझाई नहीं जाती
अहसास की चीज़ है, छूई नहीं जाती
रुह में जब उठती है इसकी कशिश
किसी के रोके , फिर रोकी नहीं जाती