...

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चल तू भी जिना सिख ले।

तेरी इन अंशुओ की कोई कीमत नहीं,
न बेंहने दे इससे,
तेरा ग़म दूसरों से बढ़ा नहीं
बस सहले इससे,
लोगों को जो केहना हैं,
कहने दे उसे,
अगर कोइ भ्रम की चादर ओढ़े रहना चाहें,
तो रहने दें उससे,
तूं बस अपना देख, और दुनिया को छोड़ दें,
जिस रास्ते में तूं खड़ा हैं उस रास्ते को मोड़ दे,
ढूंढ नई अपनी मंजिल, तूं भी जिना सिखले,
मुस्कुरा इस कठिनाइयों में ता की दुनिया भी तुझे देख लें।