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ऐ ज़िंदगी मुझे भी मुश्कुराने दे
ऐ ज़िंदगी मुझे भी मुश्कुराने दे,
यूं ना बेवजह गुज़र जाने दे,
एक - एक लम्हा यादगार हो,
इस तरह मुझे बिताने दे।
ऐ ज़िंदगी मुझे भी मुश्कुराने दे।।

क्रोध - पीड़ा मेरे अलंकार नहीं,
क्या खोया इससे सरोकार नहीं,
आने वाले कल को गुनगुनाने दे,
ऐे ज़िंदगी मुझे भी मुश्कुराने दे।।

मासूम है एक जिंदगी साथ मेरे,
जी लेता जब चेहरे पर वो हाथ फेरे,
उसके लिए तो कुछ सपने सजाने दे,
ऐ ज़िंदगी मुझे भी मुश्कुराने दे।।

अपने माँ- बाप से बहुत दूर हुं मै,
अकेले सहने को मज़बूर हुं मै,
मेरी कलम को भी खिलखिलाने दे,
ऐ ज़िंदगी मुझे भी मुश्कुराने दे।।

लाज की छाया को छोड़ नहीं सकता,
ज़िम्मेदारियों से मुंह मोड़ नहीं सकता,
हर रण में मुझे विजय श्री पाने दे,
ऐे ज़िंदगी मुझे भी मुश्कुराने दे।।

सृष्टि के कण - कण में तेरा वास है,
नादान भक्त तेरे चरणो का दास है,
खिलने से पहले जीवन को न मुरझाने दे,
ऐ ज़िंदगी मुझे भी मुश्कुराने दे।।
ऐ ज़िंदगी मुझे भी मुश्कुराने दे।।
© RamKumarSingh(राम्या)