भाव वही, एक रूप पृथक है
अंदाज़ अलग है, सबकी अपनी राह अलग है,
प्रेम जताने का भाव वही, एक रूप पृथक है ।
पुरूषों से गिला करें तो क्या
उसके पास दूजा कोई एहसास नहीं
'स्नेह' , ' प्रेम ' की बात महज एक बात रही
देह सुख से आगे उसका कोई संवाद नहीं ।
र्सिफ ऐसा कहना , न्याय न होगा
पुरूष जाति पर कहर सा होगा ।
तो सत्य यह भी स्वीकार...