धुआँ उठा है तो कुछ जला भी होगा
#parasd
दर्द पिघला हैं यूँ, दिल खला भी होगा
धुआँ उठा है तो, कुछ जला ही होगा।
वो कहते थे जो दिल का सुकून है मोहब्बत
गर मोहब्बत न करे तो शायद,भला ही होगा।
कितनी कोशिशें लड़खड़ाई होंगी सफ़र में दिल
दिल का मारा फिर भी, डगर ये चला ही होगा।
कौन जाने की क्या हो मंज़िल, उसके सिवा
वो जो सब जानता है, यक़ीनन ख़ुदा ही होगा।
© paras
दर्द पिघला हैं यूँ, दिल खला भी होगा
धुआँ उठा है तो, कुछ जला ही होगा।
वो कहते थे जो दिल का सुकून है मोहब्बत
गर मोहब्बत न करे तो शायद,भला ही होगा।
कितनी कोशिशें लड़खड़ाई होंगी सफ़र में दिल
दिल का मारा फिर भी, डगर ये चला ही होगा।
कौन जाने की क्या हो मंज़िल, उसके सिवा
वो जो सब जानता है, यक़ीनन ख़ुदा ही होगा।
© paras