...

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कांपता सा है
एक सिरा है हाथ में मेरे
दूसरा कुछ लापता सा है,

जरा उधर गौर कीजिए
वो बेजुबान कुछ कांपता सा है,

लगता है भगाया गया
वो बैठे बैठें कुछ हांफता सा है,

सुना है रोटी लेने गया था
लेकिन वो तो अभी भी भूंखा से बिलखता सा है,

इस बेशुमार गर्मी में
उसका ये जेहन पिघलता सा है,

नही पड़ी है रोटी पेट में उसके
उसके पीठ पर कुछ पड़ा हुआ है,

आंखों में है आंसू उसके
वो शायद किसी से पिटा हुआ है,

क्या कसूर था उसका
वो बस रोटी लेने ही आया था,

जितनी रोटी उसने ली नही
उससे ज्यादा तू कल फेंक आया था,

फेकने जाता था मैं भी रोज रोटी
एक मर्तबा उसके सामने डाल आया था ,

देखा था तब मैने उसकी खिलती मुस्कान को
उसके सूखे पड़े आंसुओं पर नजर कर आया था,

मुझे भी मिला था सुकून
जब मैं अनजाने में कुछ अच्छा काम कर आया था,

उस हादसे के बाद से
मेरे अंदर कुछ बदला बदला सा है,

एक सिरा है हाथ में मेरे
दूसरा कुछ लापता सा है,

जरा उधर गौर कीजिए
वो बेजुबान कुछ कांपता सा है....।।🤍🤞

#when_a_pen_slips
© LuckNawi_NaWabs