...

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!! तेरी हीर !!
मैं कब से तेरी हीर बनी बैठी हूँ,
तू कब राँझा बनेगा मेरा।।
मोहब्बत करते मुझे अरसा हो गया,
और कितने बरसों में होगा तू मेरा।।
मोहब्बत तू भी करता है मुझसे पर,
मोहब्बत मे तेरी खामोशियाँ बहुत है।।
मैं कब से तेरी हीर बनी बैठी हूँ,
तू अब कब राँझा बनेगा मेरा।।
मैं ये तो नहीं कहती ,
तू बयां सबसे कर मोहब्बत हमारी,
पर कम से कम मुझे तो बता,
तुझे है फक्त चाहत मेरी।।
मैंने कब कहा तू
ताज महल बना मेरे लिए,
तू जल्द से जल्द बस हो जा मेरा।।
मैं कब से तेरी हीर बनी बैठी हूँ,
तू कब राँझा बनेगा मेरा।।
मोहब्बत करते मुझे अरसा हो गया,
और कितने बरसों में होगा तू मेरा।।

© -ਸਾਕਸ਼ੀ