...

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बचपना और समझदारी
अभी अभी तो सीखा है
कि चलना कैसे हैं
अभी ही जाना है
कि जमाने में रहना कैसे हैं
अब तक तो सहारे पर चलते थे
जमाने से छिप कर रहते थे
आज हम जब इन हालातों से टकराये
तो जाना अकेले रहना क्या होता है
मैंने ये भी जाना लोग होते कैसे हैं
ये भ्रम था हमारा सबको अच्छा समझती थी
जब भ्रम टूटा तो समझी
वो मेरा बचपना था
आज के ज़माने में मैंने जब अच्छाई तलाशा
तो मैंने जाना कि मैं अब समझदार हो गयी हूं
सबको अब बखुबी पहचानती हूं
अब मैं अच्छा बूरा समझने लगी हूं
मैं खुद को संभालने लगी हूं
___पल्लवी......