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कैसे छोड़ दू उसे 🤷💞
मेरी मां कहती है मुझसे । निखर जाएगी समझौता कर ले। बिखर जाएगी यूं जिद पर न अड़। अपनों से भला ऐसे कौन नाराज होता है। कौन अपने हाथों से अपने रिश्तों का विनाश करता है। देख तू भी समझदार है प्यार और परिवार को यूं तराजू में ना तोल। खून के रिश्ते कभी अलग नहीं होते रे तू प्यार से मुंह मोड़ ले रे। अब उन्हें कैसे मैं समझाऊं किसी अनजान के साथ जिंदगी भर का सफर कैसे जोड़ लूं। जिसकी रग रग से वाकिफ हूं मैं उस प्यार को मैं कैसे छोड़ दूं। जिसको जानती तक नहीं मैं भला उसके साथ जिंदगी भर के सपने में कैसे देख लूं। और जिसने अपनों खिलाफ़ जा कर मुझ पर भरोसा कर मेरे साथ सपने देखे हैं भला में उस लड़के के सपने कैसे तोड़ दूं।
© वंदना लोधी