...

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बहुत हूं
हाथ थामे रखना
जरा कस कर मेरा तुम
ज़िंदगी के टेढ़े मेढे रास्तों पर
चलने में लड़खड़ाती बहुत हूं।

मेरे सवालों के जवाब
कुछ सोच समझकर देना हुज़ूर
की सवालों के घेरे में
मैं उलझाती बहुत हूं।

कुछ छुपाना न
मुझसे कभी तुम
की तेरे राज जानने को
मैं दिमाग लगाती बहुत हूं।

कुछ कहने से पहले
रुक जाना थोड़ा
की तेरी हर कठोर बात पे
मैं आंखे छलकाती बहुत हूं।

मेरे हाव भाव को पढ़ लेना...