...

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......ना जाने कितनी दफ़ा
ना जाने कितनी दफ़ा
तेरे झूठ को सच मानने के लिए,
खुद को मजबूर किया है मैंने
ना जाने कितनी दफ़ा
तेरी ख़ुशी के लिए,
तुझे खुद से दूर किया है मैंने
ना जाने कितनी दफ़ा
अपने अरमान दबा कर,
तेरी हर ख्वाहिश को पूरा ज़रूर किया है मैंने
ना जाने कितनी दफ़ा
तेरी बेबुनियाद ज़िद के आगे,
खुद के सपनों को चूर किया है मैंने
............ ना जाने कितनी दफ़ा


© #life_a_riddle