...

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उदास क्यों ,हताश क्यों
उदास क्यों है आज इतना तू,
हताश क्यों है आज इतना तू,
जानता हूं कि माहौल में कौतूहल है,
धुकधुकी भी है सीने में,
खुद से घोषित युद्ध तो नही ये कहीं,
जीतने हारने का डर तो नही ये कहीं,
जानता हूं कि मन के किसी कोने में
सफल न होने का डर है,
नही जानता क्या असफलता के बाजू वाला ही
तो सफलता का घर है,
फिर असफलता से कैसा डर है,
बात मेरी बस एक मान ले तू,
मन में अपने ठान ले तू,
हार जाए सब कुछ भी अगर तू,
खुद से कभी न हार तू,
बस इतनी बात ले जान तू,
उदास क्यों है आज इतना तू,
हताश क्यों है आज इतना तू ।

© Vinayak Albela