...

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यार तुम बदलने लगे हो।
किस जंजीरों ने बांध रखा है ,
जो तुम बदलने लगे हो ,
किसने दिल का दरवाज़ा तोड़ दिया,
जो मुझसे भी रूठ गए हो ।
दोस्ती तो एक शर्त बना रखा है,
क्यूं ईमान का मज़ाक बना रहे हो,
अपना तो मैं भी हूं तुम्हारा ,
क्यूं अपने दर्द को छिपा रहे हो ।
जब पराया था तो कभी अपना न कहते ,
क्यूं मेरे बातो में अहमियत रखते ,
आज जब तुम्हारे अपने पराए हो गए ,
तो क्यों पराया में अपना खोजते हो ,
अपनो में पराया ढूंढते हो ,
यार तुम बदलने लगे हो ।