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बेवज़ह
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वज़ह न पूछकर वो बस
तंज किया करते है ।
ये शहर के लोग, अब
मेरी तन्हाई पर भी
रंज किया करते है ।।

वक़्त मिलता नहीं अब
मुझे मेरे वस्ल का और
वो बेवज़ह हमें, इश्क़ का
शतरंज कहा करते है ।

सुनकर भी खामोश सह
लिया करते है , समझ
नही पाते कि हम उन्हें या
वो हमें तंग किया करते है।

तोड़कर हसरतें मेरी,अपने
हाथों से, आज वो ही हमें
खुली पतंग कहा करते है ।

करके वादे हज़ार हमसे
वो तन्हाई में यूँही छोड़ गए ,
आज मुस्कुराते देख, हमें ही
संगदिल कहा करते है

वज़ह न पूछकर बस....
तंज कसा करते है
बेवज़ह ही तोहमतें लगा
हमें तंग किया करते है ।।।

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@AtulPurohit