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क्या चाहिए!
ना शौहरत चाहिए, ना सपने रंगीन चाहिए,
ना जर चाहिए न कोई जमीन चाहिए,
एक पल का प्यार भी काफी बहुत है,
जिंदगी भर के लिए न कोई हसीन चाहिए,
जमाने के रंग ढंग मे ना ढल पाऊंगा कभी,
जमाने को तो केवल अपने काम की मशीन चाहिए,
खुदकी बड़ी बड़ी गलतियों को नजरंदाज करते है,
दूसरो से हर काम महीन चाहिए।।
अपनों का दुख देख कर खुश होती है ये दुनिया,
दूसरो के दुख में भी अपनी आंख गमगीन चाहिए।।
दुनियादारी की मुझको इतनी समझ कहां है,
जीने के वास्ते मुझे बस सुकून की नींद चाहिए,
ये सोचकर वो छलता रहा की मुझे कुछ पता नहीं है,
मैं चुप रहा ये सोचकर उसे मुझसे कोई बेहतरीन चाहिए।।
© @badnamLadka
ना जर चाहिए न कोई जमीन चाहिए,
एक पल का प्यार भी काफी बहुत है,
जिंदगी भर के लिए न कोई हसीन चाहिए,
जमाने के रंग ढंग मे ना ढल पाऊंगा कभी,
जमाने को तो केवल अपने काम की मशीन चाहिए,
खुदकी बड़ी बड़ी गलतियों को नजरंदाज करते है,
दूसरो से हर काम महीन चाहिए।।
अपनों का दुख देख कर खुश होती है ये दुनिया,
दूसरो के दुख में भी अपनी आंख गमगीन चाहिए।।
दुनियादारी की मुझको इतनी समझ कहां है,
जीने के वास्ते मुझे बस सुकून की नींद चाहिए,
ये सोचकर वो छलता रहा की मुझे कुछ पता नहीं है,
मैं चुप रहा ये सोचकर उसे मुझसे कोई बेहतरीन चाहिए।।
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