...

20 views

कहानी
आज बेबाक अल्फ़ाज़ भी उभर कर आने लगे
शान्त बैठे जज़्बात भी शोर मचाने लगे।
सालो से बंद पड़ी डायरी आज जब खुली तो
आँखें नम ओर होठों पर एक छोटी सी मुस्कान दे गई।
कोरे पन्नों की भी एक कहानी थी
जो शायद ही मेरे अलावा किसी ने जानी थी
खुद की कहानियों में हम खुद ही राजा और रानी थे
लिखने का हुनर थो न था हम में
पर इन यादों ओर जज़्बातों ने वो भी सीखा दिया।
दिल की बातों को कविता में पिरोना बतला दिया