...

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परिवर्तन का समय है
आज कोई सपने बेचने आ रहा है
आपको नया मंज़र दिखाने आ रहा है।
हक़ीक़त में जो ख़ुद खोखला है
राष्ट्र संबल का फिर मंत्र देने आ रहा है।
आप को अपना बताने आ रहा है
स्वार्थ लिप्त फिर गुमराह करने आ रहा है।
जुमलों की बरसात लेके आ रहा है
सपनों के सच होने का आसार ला रहा है।
भाईचारे का नया शगूफ़ा ला रहा है
देश में नफ़रत जो हर जगह फैला रहा है।
काग़ज़ी विकास का पुलिंदा रहा है
अरबपतियों, लुटेरों का पसंदीदा जो रहा है।
भ्रष्टचारियों का कोई हितैषी आ रहा है
अत्याचार जुल्म जो जनता पर हर पल ढाह रहा है।
सामाजिक ताना बाना नष्ट कर रहा है
सांस्कृतिक सौहार्द को जो ख़त्म* कर रहा है ।
आँधी, तूफ़ान कहीं कुछ भी नहीं है
चोर दरवाज़े से अंदर आने का यत्न कर रहा है।
प्रण लीजिए इनको उखाड़ फेकना है
उज्ज्वल भविष्य फिर अगर आपकी नूतन प्रेरणा है।

© Praveen Yadav @SoulWhispers