तेरी याद का क्या कहूँ…
हर घड़ी की सुई बस तेरा ही नाम लिखती है,
धड़कनें फ़र्ज़ हैं, मगर तेरा ज़िक्र किए बग़ैर चलती नही,
तेरी आँखों में ऐसा क्या है
कि मेरी रातें वहीं ठहरने लगीं?
सांसें भी अब तेरी धुनों में खो गईं,
और ख़ामोशी… वो भी तेरा ही नाम गुनगुनाती है।
मैं तुझे इश्क़...