...

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रास्ता भटक गया हूँ...
एक नासमझ, नादान, अलबेला मुसाफिर हूं मैं,
जिंदगी की एक लंबी सफर तय करने को निकला हूँ
सच्चाई, सादगी, ईमानदारी को अपने साथ लेकर
पर इस खुबसूरत - सी, रंग - बिरंगी दुनिया की चकाचौंध में फसकर अपना रास्ता भटक गया हूँ।।

गाँव का रहने वाला हूँ, चोखा - भात खाने वाला हूँ मैं
पर सबके सामने पुलाव - दाल खाकर अपनी
वास्तविकता सबकी निगाहों से छिपा रहा हूँ।।

मैं गंवार अपनी मातृभाषा से प्रेम करने वाला हूँ पर कोई देखे ना हमें यहाँ हेय दृष्टि से...