तरही ग़ज़ल
२१२२-२१२२-२१२२-२१२
फूल काँटों से घिरा है उसको क्या हो जाएगा
तोड़ने उसको लगूँ तो हादिसा हो जाएगा
भर गया है ज़ख़्म मेरा दूर रहने दो उसे
वो अगर छू लेगा इसको फिर हरा हो जाएगा
सारे ख़त अपने ठिकाने पर...
फूल काँटों से घिरा है उसको क्या हो जाएगा
तोड़ने उसको लगूँ तो हादिसा हो जाएगा
भर गया है ज़ख़्म मेरा दूर रहने दो उसे
वो अगर छू लेगा इसको फिर हरा हो जाएगा
सारे ख़त अपने ठिकाने पर...