ग़ज़ल
२२१-१२२२//२२१-१२२२
रस्ते में अदू मेरा कुछ चाल न चल जाए
डर है वो कहीं मुझसे आगे न निकल जाए (१)
पत्थर से बने हो क्या चुपचाप ही रहते हो
पहलू में अगर दिल है कह दो कि मचल जाए (२)
कल तक था मैं जैसा भी...
रस्ते में अदू मेरा कुछ चाल न चल जाए
डर है वो कहीं मुझसे आगे न निकल जाए (१)
पत्थर से बने हो क्या चुपचाप ही रहते हो
पहलू में अगर दिल है कह दो कि मचल जाए (२)
कल तक था मैं जैसा भी...