...

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सवाल यही है कि तेरे हिस्से में जवाब और मेरे हिस्से में सवाल क्यूं है।।
@miss1020
चलो आज बात कुछ यूं कर ले , अपने अपने दायरो का हिसाब कर ले।
तेरे हिस्से में कितना तू आता है, मेरे हिस्से में कितनी मै चल आज ये बात साफ कर ले ,
सवाल ये है कि तेरे हिस्से में जवाब ही क्यूं और मेरे हिस्से में सवाल ही क्यूं ?तेरे हिस्से में पुरी मर्जी तेरी, मेरे हिस्से में सिर्फ इजाजत ही क्यूं?
तुझे नहीं लगता ये जायज नही है,
तेरे हिस्से में सिर्फ तू, मेरे हिस्से में पुरी मै भी नही,
क्यूं ना रिश्ते की ये धूधली चेहरे का धुल भी साफ कर ले, अपने अपने दायरो का हिसाब कर ले।
सवाल ये है कि मुझे मेरे हिस्से में तेरी इजाजत की जरूरत क्यूं? हर रोज तेरे हां या ना के बीच घुटते रहने की जरूरत क्यूं?
ये सारे नियम ये सारे कायदे मेरे ही हिस्से में क्यूं? मेरा हिस्सा तेरे तंग दिल इजाजत का मुहताज क्यूं है?
जब हिस्से बराबर हैं तो दस्तूर क्यूं नहीं?
तू भी मेरे इजाजत के घुटन का बोझ उठाने के लिए मजबूर क्यूं नहीं?
सवाल तो बहुत है?
लेकिन असली सवाल तो यही है,
कि तेरे हिस्से में जवाब और मेरे हिस्से में सवाल ही क्यूं है??
© Raisahab