भावी नागरिक
चलो बन भावी फूल खिले हम।
इस चमन के भावी नागरिक, जिम्मेदारियों का अहसास करे हम।
स्वस्थ्य समाज हित शिक्षा जरूरी, इसका मन से पाठ करे हम।
मानवता अपना सर्वोच्च धर्म, इस धर्म मूल को प्राप्त करे हम।
भेदभाव की रेखा हटा कर, जन चेतना का नींव धरे हम।
संविधान सबसे पवित्र ग्रंथ, इसका भरसक सम्मान करे हम।
अधिकारों की मांग से पहले, कर्तव्यों का अभ्यास करे हम।
न्याय का मंदिर बना न्यायालय, इसे कलंक से दूर रखे हम।
संसद की गरिमा कम न हो, अपराधियों को निर्मूल करे हम।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, एक दूजे पर विश्वास करे हम।
तिरंगे का स्थान सर्वोपरि, राष्ट्रीयता पर नाज करे हम।
© मृत्युंजय तारकेश्वर दूबे।
© Mreetyunjay Tarakeshwar Dubey
इस चमन के भावी नागरिक, जिम्मेदारियों का अहसास करे हम।
स्वस्थ्य समाज हित शिक्षा जरूरी, इसका मन से पाठ करे हम।
मानवता अपना सर्वोच्च धर्म, इस धर्म मूल को प्राप्त करे हम।
भेदभाव की रेखा हटा कर, जन चेतना का नींव धरे हम।
संविधान सबसे पवित्र ग्रंथ, इसका भरसक सम्मान करे हम।
अधिकारों की मांग से पहले, कर्तव्यों का अभ्यास करे हम।
न्याय का मंदिर बना न्यायालय, इसे कलंक से दूर रखे हम।
संसद की गरिमा कम न हो, अपराधियों को निर्मूल करे हम।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, एक दूजे पर विश्वास करे हम।
तिरंगे का स्थान सर्वोपरि, राष्ट्रीयता पर नाज करे हम।
© मृत्युंजय तारकेश्वर दूबे।
© Mreetyunjay Tarakeshwar Dubey
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