...

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यारा की यारी
हम दुआ उनके लिए करते हैं
जिन्हें अक्सर हम याद किया करते हैं
जिनकी चाहत हम नहीं रखते हैं
फिर भी क्यों खो जाने से उनके डरते हैं
जिनकी सब खुशी और गम ,लगता मानो हमारा हो खुशी और गम
कभी-कभी यादों में उनके, हो जाया करती थी, आंखें हमारी नम
क्यों बदल रहा है हमें लेकर नजरिया उनका
जब स्नेह तो वहीं है ,अभी तक मेरे मन का
कुछ बता भी नहीं सकती हम उनको भुला भी नहीं सकते हम जिनको
कैसी यह संसार की रस्म है बिन रिश्तों के तो यहां सब कुछ भस्म है
ना कोई अटूट रिश्ता है फिर भी एक फरिश्ता है , मित्र है मेरा सबसे प्यारा यही हमारा रिश्ता है
चाहे मिल जाए हजारों लेकिन उनकी कमी खलेगी ,रहेंगे उनके शुभचिंतक जब तक आखरी सांस रहेगी!