...

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तुम जब मिलोगी
कभी जीवन में यूं ही राह चलते, किसी अनजाने मोड पर या किसी मंदिर की चौखट पर, या किसी बाजार की भीड़ में, या कोई खिलौनों की दुकान पर मिलोगी कभी तो क्या हम नजर मिला पाएंगे।
उस पल में जब सांसे तुम्हारी मध्यम होगी, धड़कन मेरी तेज होगी।
दोनों की जुबां सिली होगी, न चाहते हुए नजरअंदाज कर पाओगी।
क्या तुम उस वक्त मेरे पास आओगी?
वो लम्हे जो हमने साथ बिताए थे, वो तुम्हारी खुशबू जो मैं आज भी दूर से पहचानता हूं, वो तुम्हारी आवाज का लहरजप्पन, तुम्हारी आहट से सिहर जाना, वो मेरे मन का उतावलापन वापस याद दिलाओगी।
वो पंखुड़ी से तुम्हारे होठों का स्पर्श, वो तुम्हारी फूलों सी हंसी, वो तुम्हारे कंधे का सहारा, वो बात करते हुए तुम्हारा निहारना, वो अपनी ही बातों पे हंसते जाना, वो तुम्हारी पलकों का...