हे प्रभु
हे प्रभु
कितनी प्यारी सूरत तेरी
भाव में मैं तो बह गया हूं
चलते फिरते तुझे निहारूँ, जानें क्या-क्या कर गया हूं।।
पूजा तप भी कुछ न जानूं
न ढोंग आडंबर करता हूं
भक्ति की तेरी राह पे जैसे, निश्चित होकर बढ़ गया...
कितनी प्यारी सूरत तेरी
भाव में मैं तो बह गया हूं
चलते फिरते तुझे निहारूँ, जानें क्या-क्या कर गया हूं।।
पूजा तप भी कुछ न जानूं
न ढोंग आडंबर करता हूं
भक्ति की तेरी राह पे जैसे, निश्चित होकर बढ़ गया...