मजबूरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
जो खोले बदन वो भी आज कल
जरूरी है,
दिखावा का दौर है साहब..
यहां हंसना भी जरूरी है,
गम छुपाना भी जरूरी है!!
✍️कनु प्रिया
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
जो खोले बदन वो भी आज कल
जरूरी है,
दिखावा का दौर है साहब..
यहां हंसना भी जरूरी है,
गम छुपाना भी जरूरी है!!
✍️कनु प्रिया