गुस्ताख़ मोहब्बत
मोहब्बत करने की गुस्ताख़ी क्यूँ हर बार किया करता है
ये इज़हार ही है ऐसा दस्तक चुपके से दिया करता है।
अनजान रहा जो इस अनुभव से वो भी क्या ख़ाक जिया करता है
ये हसीन जुर्म क़बूल किया जिसने वो बड़ा दिलदार हुआ करता है।
लबों पर...
ये इज़हार ही है ऐसा दस्तक चुपके से दिया करता है।
अनजान रहा जो इस अनुभव से वो भी क्या ख़ाक जिया करता है
ये हसीन जुर्म क़बूल किया जिसने वो बड़ा दिलदार हुआ करता है।
लबों पर...