प्रेरणा
मन के भीतर सब तितर-बितर एकत्रित कर
प्रेरणा जगा धर धीर विजय की यात्रा कर।।
क्या हीन बना देगी तृष्णा! का कर विचार
टुकड़ों में मत बांट, तेरा एकाधिकार
जो अपने से दिखतें है उनसे मोह न कर
जिनसे तू घायल है उनसे विच्छोह न कर
दुख-सुख केवल अवरोध! ग्रसित मत हो
पक्ष हीन बन! परक्रोध!...
प्रेरणा जगा धर धीर विजय की यात्रा कर।।
क्या हीन बना देगी तृष्णा! का कर विचार
टुकड़ों में मत बांट, तेरा एकाधिकार
जो अपने से दिखतें है उनसे मोह न कर
जिनसे तू घायल है उनसे विच्छोह न कर
दुख-सुख केवल अवरोध! ग्रसित मत हो
पक्ष हीन बन! परक्रोध!...