भ्रष्टाचार की चोट
सफेद हो या काला कोट,
हर कोट के पीछे छिपा है,
लोभ का एक घना जाल, एक नोट।
हर नोट के नीचे दबा है,
ताक़त का एक गहरा राज़, एक वोट।
आज का समाज है इंसानियत और दरिंदगी का एक अजीबो-गरीब मेल,
समाज का है ये एक अजीब-सा खेल।
ख़ुद दबा के...
हर कोट के पीछे छिपा है,
लोभ का एक घना जाल, एक नोट।
हर नोट के नीचे दबा है,
ताक़त का एक गहरा राज़, एक वोट।
आज का समाज है इंसानियत और दरिंदगी का एक अजीबो-गरीब मेल,
समाज का है ये एक अजीब-सा खेल।
ख़ुद दबा के...