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सितारों से उलझता जा रहा हूँ...! 📝
सितारों से उलझता जा रहा हूँ...!

सितारों से उलझता जा रहा हूँ
शब-ए-फ़ुरक़त बहुत घबरा रहा हूँ

तेरे ग़म को भी कुछ बहला रहा हूँ
जहाँ को भी समझा रहा हूँ

यक़ीं ये है हक़ीक़त खुल रही है
गुमाँ ये है कि धोखे खा रहा हूँ

अगर मुमकिन हो ले ले अपनी आहट
ख़बर दो हुस्न को मैं आ रहा हूँ

हदें हुस्न-ओ-इश्क़ की मिलाकर
क़यामत पर...