...

7 views

time
वक़्त का ये बेरहम चेहरा
ना ये तेरा ना ये मेरा।
ना ये माने दीन धरम को।
ना ईश्वर ना अल्लाह तेरा।

समय की चक्की चलती जाए।
जिसकी बारी वो पिसता जाए।
कोई बचे ना काल के मुख से।
बस अग्नि में जलता जाए।

इस देह का ना अभिमान करो।
मुश्किल अपनी आसान करो।
कुछ पुण्य की गठरी बांधो।
काम इंसा के तुम इंसान करो।
©️®️✍️ranjitsingh
© ranjitsingh