मन : एक बांध
भरे सागर सा मन मेरा,
बहने को तरसता जो,
डटा रहता बाँध सा अकसर,
बरसने को तरसता जो |
गौर फरमाता रहता अक्सर,
गौर मिले ना इसको जो,
भरता रहता धीरे-धीरे,
जैसे बूँद बनाये सागर...
बहने को तरसता जो,
डटा रहता बाँध सा अकसर,
बरसने को तरसता जो |
गौर फरमाता रहता अक्सर,
गौर मिले ना इसको जो,
भरता रहता धीरे-धीरे,
जैसे बूँद बनाये सागर...