कठिन क्या है..प्रेमिका बनना या पत्नी...??
कहते हो कि पत्नी को प्रेम नहीं मिलता..
तो प्रेमिका को भी प्रेम के सिवा कुछ नहीं मिलता,
पत्नी बनना सरल है, कभी प्रेमिका बनकर बिताओ एक दिन.. मात्र एक दिन।
तुम्हारे पास होता है घर,परिवार,दोस्त,नाते रिश्तेदार..
हमारे पास..हमारे पास तो हम तक नहीं रह जाते हैं..
सुहागिनों में शामिल हो तुम...और हम..
हमें तो लोग दूर से धिक्कारना शुरु कर देते हैं,
तुम्हारे इन्तजार की सीमा तो है भला...
और मेरी प्रतीक्षा का कोई अंत नहीं।
तुम्हें यकीं है कि रात भई तो पिया आ रहे होंगे,दीदार तो हो जायेंगे..
यहां तो वो भी कोई पता नहीं कि दिन लगेंगे या बरस..एक झलक के लिए।
आप तो आदर, सम्मान और इज्ज़त के साथ पुकारी जाती हो..
मुझे लोग,अपने अनुसार बुलाते हैं,......,......,
जाने कितने नामों से पुकारी जाती हूं..
कुछ नहीं चाहिए होता है..
धन,दौलत, रुपया, पैसा कुछ भी नहीं चाहिए...
हम सिर्फ प्रेम चाहते हैं..
वो भी मिलता है बचा हुआ..
और हम उसे भी प्रसाद समझ मस्तक से लगा..अपने हृदय में स्थान देते हैं।
तुम गुस्से में भला बुरा भी बोल लेती हो..
हमारे दिल के टुकड़े भी हो जाएं तो बददुआ नहीं देते,
तुम्हारा हक़ होता है उन पर..
हम तो ख़ुद पर से हक़ छोड़ देते हैं उनके लिए..
आंसुओं से लथपथ होंठ कांपते ज़रूर हैं..
लेकिन इश्क की खिलाफत कभी नहीं करते..
दुनिया के लिए हमें छोड़ सकते हैं..
लेकिन मेरे लिए दुनियादारी नहीं भूल सकते..
सबको दिए वादे निभाते हैं..
हमारे वादों का रोज़ ही अन्तिम संस्कार होता है..
प्रेमिका बनना इतना भी सरल नहीं है...जितना आप लोग समझते हो..
किसी का प्रेम बन जाना तब बताना.. कठिन है या सरल..।।
आकांक्षा मगन "सरस्वती"
#आकांक्षामगनसरस्वती
#कृष्णदासी
© All Rights Reserved
तो प्रेमिका को भी प्रेम के सिवा कुछ नहीं मिलता,
पत्नी बनना सरल है, कभी प्रेमिका बनकर बिताओ एक दिन.. मात्र एक दिन।
तुम्हारे पास होता है घर,परिवार,दोस्त,नाते रिश्तेदार..
हमारे पास..हमारे पास तो हम तक नहीं रह जाते हैं..
सुहागिनों में शामिल हो तुम...और हम..
हमें तो लोग दूर से धिक्कारना शुरु कर देते हैं,
तुम्हारे इन्तजार की सीमा तो है भला...
और मेरी प्रतीक्षा का कोई अंत नहीं।
तुम्हें यकीं है कि रात भई तो पिया आ रहे होंगे,दीदार तो हो जायेंगे..
यहां तो वो भी कोई पता नहीं कि दिन लगेंगे या बरस..एक झलक के लिए।
आप तो आदर, सम्मान और इज्ज़त के साथ पुकारी जाती हो..
मुझे लोग,अपने अनुसार बुलाते हैं,......,......,
जाने कितने नामों से पुकारी जाती हूं..
कुछ नहीं चाहिए होता है..
धन,दौलत, रुपया, पैसा कुछ भी नहीं चाहिए...
हम सिर्फ प्रेम चाहते हैं..
वो भी मिलता है बचा हुआ..
और हम उसे भी प्रसाद समझ मस्तक से लगा..अपने हृदय में स्थान देते हैं।
तुम गुस्से में भला बुरा भी बोल लेती हो..
हमारे दिल के टुकड़े भी हो जाएं तो बददुआ नहीं देते,
तुम्हारा हक़ होता है उन पर..
हम तो ख़ुद पर से हक़ छोड़ देते हैं उनके लिए..
आंसुओं से लथपथ होंठ कांपते ज़रूर हैं..
लेकिन इश्क की खिलाफत कभी नहीं करते..
दुनिया के लिए हमें छोड़ सकते हैं..
लेकिन मेरे लिए दुनियादारी नहीं भूल सकते..
सबको दिए वादे निभाते हैं..
हमारे वादों का रोज़ ही अन्तिम संस्कार होता है..
प्रेमिका बनना इतना भी सरल नहीं है...जितना आप लोग समझते हो..
किसी का प्रेम बन जाना तब बताना.. कठिन है या सरल..।।
आकांक्षा मगन "सरस्वती"
#आकांक्षामगनसरस्वती
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