नही था
ख़ाक ही ख़ाक थी, और ख़ाक भी क्या कुछ नहीं था,
मैं जब आया, तो मेरे घर की जगह कुछ नहीं था!
क्या करूं, तुझसे ख्यानत नहीं कर सकता मैं,
वरना...
मैं जब आया, तो मेरे घर की जगह कुछ नहीं था!
क्या करूं, तुझसे ख्यानत नहीं कर सकता मैं,
वरना...