...

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अरसों के बाद...
बरसों के बाद
चमन में कुछ फूल खिले हैं

अरसों के बाद
मेरी झोपड़ में दीए जले हैं

दशकों से जहां
कोई चिंगारी तक नहीं दहकी

आज वहां बिन मौसम ही
सब तीज त्यौहार मने हैं

बिन रूह के
जैसे लिखने वाले

एक अदने से शायर को
आज बुल्ले शाह मिले हैं

© Pooja Arora

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