...

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की सहारा बनो....।
की सहारा बनो उनका
जिनसे किनारा मिला है.....
तुम्हे खुशियों का जिनसे
एक ठिकाना मिला है....
ना छोड़ो हाथ उनका....
जिन्होने थामी उंगलियां थी....
ना सोए रात भर जो...
और खुशी भी सब मिटा दी...
बुढ़ापा बनके उम्र ने जो
उनको अब ;कसा है...
वो तुम्हारे आसरे है....
और उनको क्या मिला है...
की सपने सब लुटाने का
मिला जो ये सिला है........
की कपकपाते हाथ को
ज़रा सा थाम लो तुम...
की ले लो रोज आशीर्वाद
तुम प्रशाद की तरह...
की धुल जाएंगे सारे पाप
जो कभी किया हो...
की सहारा बनो उनका...
जिनसे किनारा मिला हो....