त्रिलोकेश
अपने महाकाल से मिलने की आस है
इस पूरी श्रृष्टि में बस वही सबके साथ है
उनकी छात्र छाया में सारे विष भी अमृत हो जाएंगे
जाने वो दिन कब आएंगे जब हम भी केदारनाथ जाएंगे
सुना है वहा स्वर्ग से हवा आती है
वहा की हवाएं भी अब...
इस पूरी श्रृष्टि में बस वही सबके साथ है
उनकी छात्र छाया में सारे विष भी अमृत हो जाएंगे
जाने वो दिन कब आएंगे जब हम भी केदारनाथ जाएंगे
सुना है वहा स्वर्ग से हवा आती है
वहा की हवाएं भी अब...