...

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आवाज़ हूं मैं
आवाज हूं मैं,
औरों तक पहुंचना मेरा काम है।।

स्तित्व का आधार ,
संपूर्ण विश्व में ,
श्रेष्ठ जनों में अटूट रिश्ते का सार ,
रोजगार की प्रथम प्रस्तुति ,
गायकों की निर्भरता ,
बड़बोलों का वह बल ,
रूप का सम्मान
व पैसे की भरमार
सब मुझसे ही हैं।।

पर लोगों ने मुझे जानने-
पहचानने से नकारा
क्योंकि मेरा घर नहीं है ,
मुझे रूप का डर नहीं है ;
बस चर्चा का विषय हूं
कि प्रकृति का साज हूं मैं।
आवाज हूं मैं ।।

अम्बर  के नीचे ही घर होता है मेरा
और रहेगा भी अम्बर के रहने तक ;
मृदु हूं, शाश्वत भी, सरल भी,
विशालता है गगन सी मेरी
क्योंकि अंधकार , गर्मी और ठंड
मुझे सताते नहीं हैं ।


स्नेह और दुत्कार से
मेरा लेना-देना नहीं है,
संघर्ष की कहानियों का सहारा हूं ;
कलम और आदेश में
मेरे रूपों की परिणति है;
सफलता का मंत्र ,
राजनीति का आगाज हूं मैं ।
आवाज हूं मैं।।

मत भूलो ,
कि वक्त की ओट से
निकलते ही
मैं लौटता नहीं हूं
मैं वापस नहीं आता
सो हर युग और देश में
सम्मान होता है मेरा
साधना की कोशिश से।

या प्रयाण होता है मेरा
भूत से अभूत की ओर
विकास से विनाश में भी ;
सर्वस्व प्राप्ति में ,
हर जाति और धर्म में
योगदान और वर्तमान है मेरा
क्योंकि परवाज हूं मैं।
आवाज हूं मैं।।

© शैलेंद्र मिश्र ' शाश्वत '
08/02/2014

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