...

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मेरी दुआ मन्नतों की
मैं लगाती रही इल्जाम तुम पर ,
तुमने खामोश होकर सुना ,
मुझे लगा तुम गलत हो ,
तो भी ख़ामोश रहा ,
तुमने कुछ जताया नही ,
न मुझसे कुछ पूछा ?
दोनो अपनी पीड़ा में ,
तड़प रहे ,
अब अल्फाज खत्म हो गए ,
दोनो तरफ से ,
गलती किसकी ?
दोनो अंजान,
मैं मन रही अपनी भूल ,
सजदा कर ,
भूल कुबूल कर ली मैने ,
माफ़ कर दो ,
न जाऊंगी छोड़ कर कभी ,
गालिब ,
तुम्हारी मोहब्बत के आगे ,
मेरी दीवानगी काम पड़ गई ,
लो मैं वापस,
तुम्हारे पास आ गई ,
वादा नहीं,
मैं मन्नत की दुआ से ,
खुद को तुमसे जोड़ रखूंगी ,
मेरे गुजर जाने के बाद भी ,
मेरी दुआ तुम पर ,
हर जन्म तुम्हारे साथ रहेगी ।

© @खामोश अल्फाज़ ©A.k