अब और तालुक ही न रही मुहब्बत से.
अब दुर तक तालुक ही न रही मुहब्बत से.
खुदा सब को ये मौका नही देता.
फकत समेट रहा हूँ अपने ही जख्मो को.
हर कोई प्यार में धोखा नही देता.
आरजू थी के कभी उसके साथ साहिल देखु.
ये वक्त हैं जनाब हर किसी को मौका नही देता.
वो खुश हैं औरो के साथ तो खुश रहे.
अपनी भी मुहब्बत मुहब्बत हैं हर किसी के नसीब में नहीं होता.
खुदा खैर करे... Arshalan..
© All Rights Reserved
खुदा सब को ये मौका नही देता.
फकत समेट रहा हूँ अपने ही जख्मो को.
हर कोई प्यार में धोखा नही देता.
आरजू थी के कभी उसके साथ साहिल देखु.
ये वक्त हैं जनाब हर किसी को मौका नही देता.
वो खुश हैं औरो के साथ तो खुश रहे.
अपनी भी मुहब्बत मुहब्बत हैं हर किसी के नसीब में नहीं होता.
खुदा खैर करे... Arshalan..
© All Rights Reserved