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स्कूल वाले दिन
कुछ याद आ रहा है,
शायद सुबह जल्दी उठना.
जल्दी तैयार होना,
टिफीन में मम्मी के हाथ के पराठे,
और अपनी royal enfield के साथ स्कूल की वो सडके.
मन्दिर के सामने वाला,
घर तो रास्ते में की हुइ बाते.
दोस्तों के साथ auto वाले को हराने की शर्त लगाना, और दूसरे ही पल सब का साथ गिरना.
बारिश के महीने,
तो उनमे भीगती हुइ कुछ यादे .
सर्दी कि तो बात ही न पूछो,
एक वो ही तो दिन थे जो बड़े आराम से कटते थे.
class में पहुँचते ही मैडम की lecture सुनते हुए टिफीन खुलते थे.
दो पराठे थे, और खाने वाले हाथ तीन थे.
उसे खत्म करने के बाद हम चुपके से मुस्कुराते थे.
last वाली बेंच पर घर वाली feeling थी,
कुछ भी कह लो यार..... उसी में बसती हमारी जिन्दगी थी.
स्कूल की bell लगने पर, सबसे पहले हम निकलते थे,
न जाने क्या मज़ा था वो जो हर रोज़ सबकी साइकिल गिरा कर भाग जाते थे.
हजार मुसीबते आयी हज़ार तकलीफे भी आयी, पर हमने एक दूसरे का हाथ नहीं छोड़ा, गुस्सा होने के बाद भी एक दूसरे का साथ नही छोड़ा..
-Pragya 💕
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