...

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आशा
कभी न कभी तो मुलाकात होगी
यहाँ मिल सके न वहाँ बात होगी

तुम बस आती रहो ख्यालों में मेरे
शबनमीं फर्श पर चांदनी रात होगी

मिलेंगी भी खुशियाँ मुकद्दर को अपने
मुझे यक़ीन है खुदा की करामात होगी

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