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नारी तुम केवल श्रद्धा हो ....
नारी तुम केवल श्रद्धा हो ?
यह प्रश्न न अब तुम दोहराना

नारी ही जग की शक्ति है
यह बात न अब तुम झुठलाना

नारी बिन जगत अधूरा है
" शिवशंभु " स्वयं न पूरा है

इनकी शक्ति को पहचानो
इन बिन चहुं ओर अंधेरा है

जो सिया बिन राम
गमन वन करते
रावन कुल फिर कैसे तरते

मातु अनुसुइया की ममता न्यारी
तीनों देव कहें महतारी

देवी उर्मिला का त्याग निराला
१४ वर्ष तक विरह को पाला

नव दुर्गा है सिद्ध भवानी
इनकी महिमा जगत बखानी

भक्ति इनकी जो भी करते
जन्म जन्म के बंधन कटते

छिन में होते पूरन काम
शक्ति को इनकी करो प्रणाम

आज की नारी भी है गुणवान
गुणों की इनके करो बखान

जो भी मन में ठान ये लेती
पूर्ण करने को जान भी देती

" कल्पना " हैं इसका प्रमाण
जिन अंतरिक्ष में भरी उड़ान

कम शब्दों में कम ही गाया
हमने तुम्हारा समय बचाया

पर ये कतई ना समझना तुम
कि नारी को हमने कमतर पाया

छोड़ो भेद भाव अपमान
नारी को तुम दो सम्मान

नारी से ही उदगम तेरा
"नारी" शक्ति है सबसे महान

🙏🙏


















© Rekha pal