सूरज की गर्मी
तू दूर कहीं मुरझाता।
मैं पास कहीं कहलाता ।।
जब सूरज की प्यारी किरणें ,
आसमान पे छाए ।।
सुबह का सूरज देख ,
पशु-पक्षी चह चहए ।।
उमस जब सर चढ़ जाए।
तो सूरज ही गाली खाए।।
इंशान भी क्या चाहे ,
ये कोई न समझ पाएं ।।
जब-जब मौसम आए ।
परेशानी ही लाए ।।
मैं पास कहीं कहलाता ।।
जब सूरज की प्यारी किरणें ,
आसमान पे छाए ।।
सुबह का सूरज देख ,
पशु-पक्षी चह चहए ।।
उमस जब सर चढ़ जाए।
तो सूरज ही गाली खाए।।
इंशान भी क्या चाहे ,
ये कोई न समझ पाएं ।।
जब-जब मौसम आए ।
परेशानी ही लाए ।।