" आखिरी छोर "
मुझे याद है वो दिन,
जब तुमने चांद पर जाने कही थी ।
वो पहली मुलाकात थी,
मगर साथ आने को कही थी ।
एक दिन जो आया चांद पर,
खड़ा रहा मैं रात भर ।
हाथों में तेरे हाथ है,
सोच लिया हम साथ हैं ।
फिर ना जाने वो शहर,
क्युं सुनी सी पड़ी थी ?
नज़र फेरा तो पहचाना,
मेरे साथ तुम नहीं_तुम्हारी रूह खड़ी थी ।
जी घबराया_दिल दहलाया,
वो रात नशीली थी ।
फिर सीरे मेरी ख्वाबें छोड़कर,
आंखें बस मेरी गीली थी ।
© harishbearboy
जब तुमने चांद पर जाने कही थी ।
वो पहली मुलाकात थी,
मगर साथ आने को कही थी ।
एक दिन जो आया चांद पर,
खड़ा रहा मैं रात भर ।
हाथों में तेरे हाथ है,
सोच लिया हम साथ हैं ।
फिर ना जाने वो शहर,
क्युं सुनी सी पड़ी थी ?
नज़र फेरा तो पहचाना,
मेरे साथ तुम नहीं_तुम्हारी रूह खड़ी थी ।
जी घबराया_दिल दहलाया,
वो रात नशीली थी ।
फिर सीरे मेरी ख्वाबें छोड़कर,
आंखें बस मेरी गीली थी ।
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