प्यार के खंजर..
दिल ए नादान! क्यों इन शब्दों को जोड़ा तुमने,?
तूँ खुद तो टुटा हुआ है,
इन्हे कौन पढ़ेगा,
तेरा प्यार ही तुझसे रूठा हुआ है,
एक और उसका बढ़ता
हाथ पता है एक और से पहले भी
छूटा हुआ हैँ,
वफ़ा, दर्द, प्यार, यादें,
ये सब चैन से काम क्यों नहीं लेती हैँ,
दिल की धड़कनों का क्या करूँ
उस काफिर का नाम क्यों लेती हैँ,
हाँ सब है मेरे पास ए दिल पर कुछ है जो अभी -
भी छूटा हुआ है,
सुन दिल तूँ उससे किनारा कर ले
पहले भी तो तूँ कई बार टुटा हुआ है,
अब मरम्मत मुमकिन नहीं...
तूँ खुद तो टुटा हुआ है,
इन्हे कौन पढ़ेगा,
तेरा प्यार ही तुझसे रूठा हुआ है,
एक और उसका बढ़ता
हाथ पता है एक और से पहले भी
छूटा हुआ हैँ,
वफ़ा, दर्द, प्यार, यादें,
ये सब चैन से काम क्यों नहीं लेती हैँ,
दिल की धड़कनों का क्या करूँ
उस काफिर का नाम क्यों लेती हैँ,
हाँ सब है मेरे पास ए दिल पर कुछ है जो अभी -
भी छूटा हुआ है,
सुन दिल तूँ उससे किनारा कर ले
पहले भी तो तूँ कई बार टुटा हुआ है,
अब मरम्मत मुमकिन नहीं...