...

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बस करते है ना

बस करते है ना अब
अब और सहा नही जाता मुझसे
ये जो बिच राह मे हम खड़े है
कब तक रहेंगे ऐसे
और कब तक देंगे तकलीफ खुदको यूं
क्यूं हम आए ही इस सफर पर
जब हमे मालुम था हमारा मंजिल तक का साथ है ही नहीं
क्यूं आए तुम करीब मेरे
जब दुर जाने के तकलीफ से तुम खुद भी वाकीफ थे
अब इस दर्द का क्या करूं में
जो ना मुझे मरने दे रही है ना जीने
मै एक बार को ये दर्द सह भी लुं
पर तुम्हे तकलीफ मे देखना वो दर्द है
जो मेरे बर्दास से बाहर है
खुद को जलाने मै जिसे सुकून मिलता है वो तुम्हारी एक खरोच देख कर देख सौ दफा मरती है!
और आखीर मे दिल सवाल आता है क्या ये दर्द मेरे लिए है भी या नहीं
क्यूं जरूरत सी लगती कभी भावनाओ का शब्दो मे सुनना
© void