अहमियत
जिनके हम करीब थे वो दूर हो गये,
जाने क्यों वो इतना मगरूर हो गये.
अब उन्हें दोस्ती की जरूरत नहीं रही,
इस कदर वो मोहब्बत में चूर हो गये.
अब हम दिमाग से काम लेने लगे हैं,
दिल तोड़ने के जब से दस्तूर हो गये.
हम ने भी बना लीं अब दूरियां उनसे,
वो लोगों के बीच जब मशहूर हो गये.
खता क्या है मेरी क्या सजा है इसकी,
बिना बहस हर फैसले हमें मंजूर हो गये.
जाने क्यों वो इतना मगरूर हो गये.
अब उन्हें दोस्ती की जरूरत नहीं रही,
इस कदर वो मोहब्बत में चूर हो गये.
अब हम दिमाग से काम लेने लगे हैं,
दिल तोड़ने के जब से दस्तूर हो गये.
हम ने भी बना लीं अब दूरियां उनसे,
वो लोगों के बीच जब मशहूर हो गये.
खता क्या है मेरी क्या सजा है इसकी,
बिना बहस हर फैसले हमें मंजूर हो गये.