अजन्मी कन्या
क्या कसूर थी उस अजन्मे की,
जिसे तुमने गर्भ में हीं मार दिया?
अभी तक तो वो गर्भस्थ भी
पूर्णतया निर्मित नही थी,
उसके हाथ,पैर,इत्यादि ही बन पाए थे
कहो ना! क्या किया था उसने?
क्या तुम्हें भी कोई अकाशवाणी हुई थी?
उस मथुरा के कंस की तरह?
उसने तो भयातुर प्रतीक्षा किया था
बहन देवकी के अष्टम गर्भ का,
कहो! तुम्हे किस आकाशवाणी ने डराया है।
किसलिए परीक्षण करते हो गर्भ का,
किसी भ्रम में पड़कर क्यों उस मोक्षदायिनी
मार्ग से विश्वासघात करते हो तुम,
वो कन्या ही तो है,अपने जन्म के साथ
तुम्हे पिता और माँ होने की भान कराएगी,
आने दो उसे नवयुग सृजन के नव संसार मेंं,
उसके जीने की स्वतंत्रता ही तुम्हारा भाग्य है।
मत समझो उसे साधारण कन्या ,
वो साक्षात आदिशक्ति है,
भले कोई और पूजा पाठ करो या ना करो
उसका पोषण ही तुम्हारी भक्ति है।।
उसके जनने से तुम्हे लाभ ही लाभ है ,
हानी तो उसके रुष्ट होने पर भी नही ,
जरा सोंचो! कितना पुण्य किया होगा तुमने,
करोडों जन्मों के पुण्य जगे होंगे तुम्हारे
जो साक्षात आदिशक्ति स्वरूपिणी
तुम्हे पिता/ माता कह कर पुकारेगी ।
जिसके बिना शिव भी शव है ,वो भगवती अबतुम्हारें घर मे जन्मेगी।
अतः अब तो मत छीनो जगदम्ब स्वरूपिणी से
उसके जन्म लेने का अधिकार।
भले मत करना उसका पोषण भली भांति ,
भला तुम उस अन्नपूर्णा को क्या पोषित करोगे,
उसमें तो अनादि भगवान आशुतोष को भी
भिक्षा देने की शक्ति है।
चाहे तुम कितना ही कष्ट दे दो उसे
फिर भी अपने जीवन में तुम्हे सर्वोच्च ही रखेगीे
माता/पिता का दर्जा देकर,
अन्यथा उसके बिना तुम स्वयं कैसे जन्म लेते ।
~आचार्य अभिजीत